अंबिकापुर

पुलिस की लापरवाही.. कैदी ने की सुसाइड की कोशिश

अंबिकापुर जेल में प्रताड़ित करने का आरोप, भागकर बिलासपुर में किया सरेंडर अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल से फरार कैदी के सरेंडर को लेकर बिलासपुर पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस की इस लापरवाही से कैदी की जान भी जा सकती थी। अंबिकापुर जेल वापस भेजे जाने से बचने के लिए कैदी ने बुधवार (8 अक्टूबर) को सैनेटाइजर पीकर सुसाइड करने का प्रयास किया।

हालांकि, उसे तुरंत सिम्स में भर्ती कराया गया। अब उसकी हालत खतरे से बाहर है। दरअसल, सरेंडर करने के बाद सिविल लाइन पुलिस ने उसे थाने में रखने के बजाय पहले जेल भेज दिया, जब जेल से दोबारा उसे थाने भेजा गया, तब टीआई ने उसकी पत्नी को फोन कर घर ले जाने बोल दिया।

दरअसल पत्नी का आरोप है कि अंबिकापुर जेल में उसके पति को प्रताड़ित किया जा रहा है। पत्नी का ये भी आरोप है कि जेल में उसे मिलने वाली सुविधाएं भी नहीं दी जाती थी। वो अपने पति की जान बचाने के लिए कई अधिकारियों को अलग-अलग समय में 70 से 80 हजार रुपए दे चुकी है। इधर, बुधवार (8 अक्टूबर) को अंबिकापुर पुलिस कैदी को लेने घर पहुंची। दोबारा जेल भेजे जाने के डर से उसने घर के पीछे जाकर सेनेटाइजर पी लिया। पुलिस टीम उसे छोड़कर लौट गई। तबीयत बिगड़ने पर परिवार ने उसे सिम्स में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। जेल में प्रताड़ना और अवैध वसूली से परेशान होकर भागा

कैदी मुकेश कांत की पत्नी अमरिका बाई कुर्रे ने कलेक्टर से लिखित शिकायत की है। जिसके मुताबिक, जेल के कुछ अधिकारी और कर्मचारी उसके पति से पैसों की मांग करते थे। पैसे नहीं देने पर उसे जातिगत गालियां देते थे, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था।

पत्नी बोली- पति को बिलासपुर जेल में ही रखा जाए

कैदी की पत्नी ने कहा कि उसका पति कानून का सम्मान करता है और अपनी सजा पूरी करना चाहता है, लेकिन अधिकारियों की लगातार प्रताड़ना के कारण उसे यह कदम उठाना पड़ा।

मंगलवार (7 अक्टूबर) को वह अपने पति को लेकर कलेक्टर के पास सरेंडर कराने के लिए लेकर गई थी। इस दौरान उसने मांग की कि पति उसकी जान की सुरक्षा के लिए उसे अंबिकापुर जेल न भेजा जाए, बल्कि बिलासपुर जेल में ही रहने दिया जाए। उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

अस्पताल में तैनात नहीं है कोई पुलिसकर्मी

हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा कैदी 12 साल जेल में रह चुका है। बावजूद इसके सिम्स के तीसरी मंजिल के मेल मेडिकल वार्ड-3 में उसका इलाज सामान्य मरीजों की तरह हो रहा है। परिजन साथ हैं, लेकिन निगरानी के लिए एक भी पुलिस जवान तैनात नहीं है।

साइक्लोफीना टेबलेट के साथ पिया सेनेटाइजर

सिम्स अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि कैदी के पास से साइक्लोफीना टैबलेट और सेनेटाइजर मिला है। टेबलेट खाने के साथ ही उसने सेनेटाइजर पिया है। डॉक्टरों ने उसे ऑब्जर्वेशन में रखा है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद कैदी को अंबिकापुर पुलिस को सौंपने की बात कही जा रही है।

अंबिकापुर जेल में इनके नंबर पर ट्रांसफर किए 1.20 लाख रुपए

शंकर तिवारी 5000, अभिषेक शर्मा 10000, अखिलेश सिंह, लोकेश टोप्पो 30000, ललई बाबा 5000, अनिल बाबा गुप्ता 1500, विजय बहादुर 10000, विजय बहादुर के बेटे को 11000, मनोज सिंह 10000, सौरभ शर्मा 10000, संजय खैरवार 2000, रमेश साहू 2000, निलेश केरकेट्टा 12000, चंद्र प्रकाश लहरे के अकाउंट में 12000 सहित कुल 1 लाख 20 हजार 500 रुपए ट्रांसफर किए गए हैं।

एसएसपी बोले- कैदी को कैसे छोड़ा इसकी जांच कराई जाएगी

जेल दाखिल कर सिविल लाइन पुलिस ने पावती ली थी। जिसके बाद जेल स्टाफ ने कैदी को सिविल लाइन थाना परिसर में छोड़ दिया। किन परिस्थितियों ने कैदी को छोड़ा गया। इस संबंध में सिविल लाइन टीआई से जानकारी ली जाएगी।

कैदी को अंबिकापुर पुलिस लेने आई थी। तभी उसने सेनेटाइजर पी लिया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कैदी की हालत अभी ठीक है। लापरवाही कहां हुई इसकी जांच कराई जाएगी।

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