जगदलपुर

जगदलपुर में दिवाली से पहले
उजड़ी बस्ती… रेलवे ने 32-घर तोड़े: महिलाएं बोलीं-राशन, बेटी की शादी के पैसे सब मलबे में दबा, पेड़ के नीचे कट रही रातें

CG MEDIA TV:दिवाली से ठीक पहले जब पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा है, तब जगदलपुर में रेलवे ने 32 घरों पर बुलडोजर चला दिया। कभी जिन घरों पर बच्चों की हंसी गूंजती थी, अब वहां टूटे बर्तन, बिखरे कपड़े और आंसुओं से भरी आंखें दिख रही हैं। रेलवे प्रशासन ने बुलडोजर से बरसों की मेहनत, सपने और उम्मीदें रौंद डाली।

बुलडोजर चलने से घर के अंदर रखे राशन, कपड़ा समेत कई दस्तावेज मलबे के नीचे दब गए हैं। इनके पास अब न सिर छिपाने के लिए छत है और न ही खाने को दाना है। जीवन भर पाई-पाई जोड़कर घर बनाया, सामान लाया, लेकिन रेलवे ने घर खाली करने का मौका भी नहीं दिया। सीधे बुलडोजर चला दिया।

रेलवे ने जिनके मकानों पर बुलडोजर चलाया, वह झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर हैं। रोज कमाते हैं रोज खाते हैं। दैनिक भास्कर की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो एक बुजुर्ग दंपती मलबे के नीचे दबे पैसे और बाकी सामान खोज रहे थे। अपनी बेटी की शादी के लिए पाई-पाई जोड़े थे।

बुजुर्ग दंपती कह रहे हैं कि, बड़े अफसरों ने घर के साथ-साथ बेटी की शादी का अरमान भी तोड़ दिया। एक महिला अपने बच्चे को गोद में लिए खाना तलाश कर रही थी। इनके पास अब न तो तन ढकने के कपड़े हैं और न सिर छिपाने को छत है, जो था वो मलबा बन गया। अब ये परिवार पेड़ के नीचे दिन-रात गुजार रहे हैं।

रहवासियों का आरोप है कि उनके पास अब तक न तो कोई अधिकारी पहुंचे और न ही सत्ता पक्ष के जिम्मेदार नेता। यह बुलडोजर की कार्रवाई 11 अक्टूबर को हुई थी।

पति नहीं, 2 बच्चे को अकेले पालती हूं, अब सड़क पर आ गई हूं

संजय गांधी वार्ड में रहने वाली सोनिया कहती है कि, पति बाहर कमाने गए थे, कुछ साल पहले ही उनकी मौत हो गई। मैं अपने 2 बच्चों के साथ झोपड़ी में रहती थी। लोगों के घर में काम कर थोड़े बहुत पैसे कमा कर अपना गुजारा चलाती हूं। शनिवार को मैं घर में नहीं थी। काम पर गई थी। मुझे पता चला की रेलवे वाले आए हैं। मेरे घर को तोड़ दिए हैं।

मैं रोती बिलखती, दौड़ी भागी अपने घर पहुंची। देखा पूरा घर तोड़ दिए। घर के अंदर जितना भी सामान था सब नीचे मिट्टी में दब गया। आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर ID, पैसे, कपड़े, बर्तन समेत घर में जितने सामान थे सब मिट्टी में दब गए। मेरे पास अब पहनने के लिए कपड़ा भी नहीं है। मिट्टी को हटाकर कुछ एक दो कपड़े बाहर निकाली हूं। घर में सब्जी, राशन सब था। अब सिर ढकने के लिए अब ठिकाना नहीं है।

पार्षद ने रेलवे प्रशासन की कार्रवाई पर आपत्ति जताई

कांग्रेस पार्षद कोमल सेना का कहना है कि, मुझे भी इसकी जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने रेलवे प्रशासन की कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि वार्ड पार्षद होने के नाते रेलवे विभाग ने मुझे किसी तरह की सूचना नहीं दी थी।

अधिकारियों ने कहा था कि, सिर्फ दो लाइनें तोड़ी जाएंगी, लेकिन बाद में बाकी झोपड़ियों को भी गिरा दिया गया। मैंने पहले भी प्रशासन से अनुरोध किया था कि जब तक इन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान न मिल जाए, तब तक इन्हें थोड़ा समय दिया जाए। लेकिन रेलवे अधिकारियों ने नहीं माना और बिना सूचना, नोटिस दिए मकानों पर बुलडोजर चला दिए।

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