
CG MEDIA TV:सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में विधायक उत्तरी गणपत जांगड़े और सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किसानों को एग्री स्टैक पंजीयन में आ रही समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नाम ज्ञापन सौंपा। 31 अक्टूबर को यह ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर वर्षा बंसल को कलेक्ट्रेट में दिया गया।

छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू होने वाली है, जिसके लिए प्रशासन तैयारी कर रहा है। विधायक जांगड़े ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार किसानों का धान खरीदना नहीं चाहती। उन्होंने बताया कि किसान पंजीयन के लिए सोसायटियों, पटवारी और तहसील कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनका काम पूरा नहीं हो पा रहा है।
पोर्टल से जानकारी गायब होने का आरोप
विधायक ने कहा कि सरकार ने एग्री स्टैक पंजीयन के माध्यम से धान खरीदी का निर्णय लिया है, लेकिन पोर्टल में कई तकनीकी खामियां हैं। कई किसानों के नाम पोर्टल पर नहीं दिख रहे, जबकि कुछ का रकबा गायब है। कुछ किसानों का पंजीयन होने के बाद भी जानकारी फिर से गायब हो रही है।
किसानों को राहत देने की मांग
विधायक ने बताया कि इन समस्याओं के कारण पंजीयन की समय सीमा एक महीने बढ़ाई गई है, लेकिन जिन किसानों की फसल कट चुकी है और पंजीयन नहीं हुआ है, वे चिंतित हैं। उन्होंने सरकार से जल्द इन समस्याओं का समाधान कर किसानों को राहत देने की मांग की।
जांगड़े ने कहा कि धान खरीदी के समय किसानों में आमतौर पर उत्साह रहता है, लेकिन इस बार उन्हें मायूसी का सामना करना पड़ रहा है।

अपनी मेहनत का उनका काम पूरा नहीं हो पा रहा है।
पोर्टल से जानकारी गायब होने का आरोप
विधायक ने कहा कि सरकार ने एग्री स्टैक पंजीयन के माध्यम से धान खरीदी का निर्णय लिया है, लेकिन पोर्टल में कई तकनीकी खामियां हैं। कई किसानों के नाम पोर्टल पर नहीं दिख रहे, जबकि कुछ का रकबा गायब है। कुछ किसानों का पंजीयन होने के बाद भी जानकारी फिर से गायब हो रही है।
किसानों को राहत देने की मांग
विधायक ने बताया कि इन समस्याओं के कारण पंजीयन की समय सीमा एक महीने बढ़ाई गई है, लेकिन जिन किसानों की फसल कट चुकी है और पंजीयन नहीं हुआ है, वे चिंतित हैं। उन्होंने सरकार से जल्द इन समस्याओं का समाधान कर किसानों को राहत देने की मांग की।
जांगड़े ने कहा कि धान खरीदी के समय किसानों में आमतौर पर उत्साह रहता है, लेकिन इस बार उन्हें मायूसी का सामना करना पड़ रहा है। अपनी मेहनत का फल पाने और धान बेचने के लिए उन्हें कई कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है।



