
सरसीवा में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने अपने घरों को दीयों, रंगोली और लाइटों से सजाकर इस पर्व को मनाया। सोमवार देर रात तक बाजारों में खास रौनक रही, जहां मिठाइयों और पटाखों की खूब बिक्री हुई। पूरे नगर में उत्सव का माहौल देखा गया और देर रात तक आतिशबाजी होती रही।

लोगों ने अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर रंगोली बनाई और दीयों से घरों व मंदिरों को सजाया। नेताओं ने भी सोशल मीडिया पर दिवाली की बधाई संदेश भेजे, जिनमें भाईचारे, शांति और खुशहाली की बात कही गई।
इस पावन अवसर पर लोगों ने अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियां मनाईं। घरों की साफ-सफाई, पूजा-पाठ और लड्डू-मिठाई जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाना आम रहा। लोगों ने घरों में पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की।

भूपेंद्र चंद्रा संवादाता ने बताया कि यह केवल दीप जलाने या उत्सव मनाने का पर्व नहीं, बल्कि आत्मिक प्रकाश और आध्यात्मिक जागरण का प्रतीक है। शास्त्रों में इसे ‘तमस से ज्योति की ओर’ ले जाने वाला पर्व कहा गया है, जिसका अर्थ अज्ञान से ज्ञान की ओर यात्रा है।

उन्होंने आगे कहा कि दिवाली के दिन अमावस्या तिथि होती है, जो सामान्यतः अंधकार का प्रतीक मानी जाती है। लेकिन इस दिन शुभ मुहूर्त में की गई लक्ष्मी पूजन और दीप प्रज्वलन से नकारात्मकता शांत होती है और सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है।





