

कहा-6 लाख किसान अब भी पंजीयन से वंचित; 3286 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदी की मांग छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि सरकार किसानों से किया वादा निभाए और धान खरीदी की शुरुआत 1 नवंबर से करे। देरी से धान खरीदी होने पर किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि इस दौरान कई इलाकों में मौसम के बदलाव से फसल प्रभावित हो सकती है।
जिस पर भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर का कहना है कि भाजपा ने साल 2023 में किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का वादा किया था। भाजपा अपना वादा निभा रही है। इस बार भी धान खरीदी नवंबर से शुरू हो जाएगी।
6 लाख किसान अब तक पंजीयन से वंचित
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि इस साल अब तक केवल 21 लाख किसानों का पंजीयन हुआ है। जबकि पिछले साल 27 लाख किसानों ने धान बेचा था। यानी लगभग 6 लाख किसान अभी भी पंजीयन से वंचित हैं। सरकार को किसानों की सुविधा के लिए पंजीयन की अंतिम तारीख अक्टूबर तक बढ़ानी चाहिए।
दीपक बैज ने धान खरीदी मूल्य बढ़ाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस साल धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 3100 रुपए प्रति क्विंटल तय की है, लेकिन इसमें वर्ष 2024-25 में 117 और 2025-26 में 69 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। ऐसे में राज्य सरकार को यह बढ़ी हुई राशि भी जोड़ते हुए 3286 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी करनी चाहिए।
किसान बेचने को तैयार किसान, सरकार कर रही है
देरी
उन्होंने कहा कि जब से राज्य बना है, तब से राज्योत्सव यानी 1 नवंबर से धान खरीदी की परंपरा रही है। वर्तमान सरकार पिछले दो सालों से जानबूझकर 15 दिन की देरी से धान खरीदी शुरू कर रही है, ताकि कम किसानों का धान खरीदा जा सके। 1 नवंबर तक किसानों का धान खेतों से खलिहान तक पहुंचकर बेचने के लिए तैयार हो जाता है। अगर खरीदी 15 नवंबर से होगी तो किसानों को इंतजार करना पड़ेगा और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
कांग्रेस ने राज्य सरकार के समक्ष चार प्रमुख मांगें रखी
धान खरीदी की शुरुआत 1 नवंबर से की जाए
प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी हो
प्रति क्विंटल ₹3100 में केंद्र की एमएसपी वृद्धि जोड़कर ₹3286 की दर तय की जाए
जिन किसानों का एग्री स्टेक पोर्टल में पंजीयन नहीं हो पा रहा, उनका पंजीयन सोसाइटी के माध्यम से कराया जाए
छत्तीसगढ़ में करीब 27.78 लाख पंजीकृत किसान हैं, जो सरकार को धान बेचते हैं। वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार ने 149 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी और किसानों को 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से लगभग 46,000 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
